यदु - भारत आवाज़ जन की

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'चंद्रशेखर' उनसे प्यार करने वाले उन्हें "चंदू" कहते थे

'चंद्रशेखर' उनसे प्यार करने वाले उन्हें "चंदू" कहते थे

'चंद्रशेखर' उनसे प्यार करने वाले उन्हें "चंदू" कहते थे,जिनसे पहली मुलाकात में 'कॉमरेड' होने का मतलब समझा था,'मार्क्स और लेनिन' को पढ़ने का अर्थ भी.....!!!!!
 आज "चंदू" की जयंती है। चंदू को क्रांतिकारी सलाम.....!!
वे अक्सर अपने भाषणों में कहा करते थे,'हाँ मेरी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा है," भगत सिंह की तरह जीवन और चेग्वेरा की तरह मौत."
31 मार्च,1997 को सीवान के जे.पी. चौक पर एक नुक्कड़ सभा को संबोधन के समय फासिस्टवादी ताकतों ने गोली मार दी थी.
उनकी मृत्यु सिर्फ उनकी नहीं थी,उन हजारों, लाखों गरीबों, वंचितों,शोषितों की थी,जो आज भी न्याय पाने के लिए संघर्षरत है। काश तुम जिंदा रहते तो उनकी आवाज़ को और भी बुलंदी मिलती.
'चंदू' इंडियन डिफेंस एकेडमी' भी जॉइन किए थे लेकिन शायद उनको यह एहसास हुआ,देश की सेवा के लिए राजनीति में मेरा होना ज्यादा जरुरी है। वे वहाँ से लौट आए। पटना विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति के हिस्सेदार बने,बाद में JNU के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। 
वे जानते थे,जिस फासिस्टवादी ताक़तों से वे लोहा ले रहे हैं,उसका परिणाम क्या हो सकता है.
फिर भी अपनी आवाज़ को शोषितों के पक्ष में बुलंद करते रहे औऱ अन्ततः गोली के शिकार हुए.....!!!!
क्रांतिकारी व्यक्तित्व, क्रांतिकारी बदलाव के आंदोलन में शहीद हो गए....!!
उनकी जयंती को याद करते हुए......

राजू यादव भटौरा

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